ध्रुव गुप्त / आज विश्व स्वास्थ्य दिवस है। यह दिन विश्व स्वास्थ संगठन की स्थापना का दिन है। इस आयोजन का मक़सद दुनिया भर में लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना और सरकारों को जनहित में स्वास्थ्य नीतियों के निर्माण के लिए प्रेरित करना है। इस साल इस दिन का विषय है ‘एक निष्पक्ष और स्वस्थ दुनिया का निर्माण’। आज जब हमारी दुनिया जानलेवा कोरोना की वैश्विक महामारी से जूझ रही है, इस दिन की सार्थकता हमेशा से ज्यादा बढ़ गई है। स्वस्थ रहने के लिए इस आपदा काल में हमें क्या-क्या करना और क्या-क्या नहीं करना है, यह तो हम लगातार सुन और समझ ही रहे हैं। इसके इतर भी हमारी भारतीय संस्कृति ने स्वस्थ और विषाणुमुक्त जीवन के कुछ शाश्वत उपाय सुझाए हैं।
कहा गया हैं कि जिस घर के आंगन में तुलसी का पौधा, सहन में नीम, आसपास पीपल का वृक्ष और छत से आंगन तक बिछी सूरज की धूप है, उस घर को कोई बीमारी छू भी नहीं सकती। पीपल और नीम शहरों में तो क्या, गांवों में भी अब कम ही दिखते हैं। धूप के विरुद्ध हम लगातार ईंट और कंक्रीट के जंगल बिछाते जा रहे हैं। तुलसी के पौधे अभी ज़रूर बचे हुए हैं - गांवों में घर के आंगन में और शहरों में बालकनी के गमलों में। आज के दिन यह सोचने की ज़रूरत हमेशा से ज्यादा है कि हमारा चिकित्सा-विज्ञान चाहे जितनी तरक्की कर ले, स्वास्थ्य और आरोग्य की कोई भी लड़ाई क्या प्रकृति के विरुद्ध जाकर भी कभी जीती जा सकती है ?
आप सबको विश्व स्वास्थ्य दिवस की शुभकामनाएं !
Copyright @ 2021 All Right Reserved | Powred by Softfix Technologies OPC Pvt. Ltd
Comments